Chhattisgarh news : दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, गुजरात, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश समेत अन्य राज्यों की 36 बड़ी दवा कंपनियां और इनके दवा प्रोडक्ट हुए ब्लैक लिस्ट। CGMSC के अधिकारियों की कमोशनखोरी
भारत पोस्ट
रायपुर। छत्तीसगढ़ के सरकारी अस्पतालों में घटिया दवाओं की सप्लाई और कालाबाजारी से मरीजों की सेहत दाव पर है। मरीजों को दी जाने वाली कई दवाएं असर ही नहीं कर रही।
सरकारी दस्तावेजों के अनुसार छत्तीसगढ मेडिकल सर्विसेज कॉरपोरेशन (CGMSC) में बीते ढाई सालों में 36 दवाएं और दवा कंपनियां ब्लैक लिस्टेड हुईं हैं। CGMSC के जीएम तकनीक (ड्रग) हिरेन पटेल के अनुसार प्रमुख हिमाचल प्रदेश, दिल्ली, गुजरात, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश समेत अन्य राज्यों की बड़ी दवा कंपनियां हैं, जिन्हे ब्लैक लिस्ट की गई है। यानी इन कंपनियों ने सीजीएमएससी को घटिया (गुणवत्ताहीन और नकली) दवाएं, सर्जिकल सामग्रियों की सप्लाई की है। जहां एक-एक दवा मरीजों के लिए कीमती होती है, वहां यह सरकारी आंकड़ा बिल्कुल भी कम नहीं है।
अब समझने वाली बात यह है कि विभाग (CGMSC) को दवाओं के घटिया होने की जानकारी तब लगती, जब राज्य के सरकारी अस्पतालों में दवाओं की सप्लाई कर दी जाती है। और लाखों मरीजों को दवाएं खिला दी जाती हैयह दवाएं एंटोबायोटिक, माल्टीविटामिन समेत गंभीर बीमारियों के लिए दिए जाते हैं। अस्पतालों में शिकायत के आधार पर जब दवाओं व सर्जिकल सामग्रियों की जांच कराया जाता है। तब पूरे मामले का खुलासा होता है। CGMSC आनन फानन में अस्पतालों से दवाओं को वापस मांगती है और दवा कंपनी को ब्लैक लिस्ट करने की कार्रवाई करती है। इस तरह की प्रक्रियाएं निरंतर चल रही है।
दवाएं खरीदी से पहले होती ये यह सरकारी प्रक्रियाएं
बता दें CGMSC में दवा सप्लाई से पहले दवा कंपनियों को इंपेनलमेंट, टेंडर, दवाओं के गुणवत्ता की जांच, लैब टेस्ट जैसी कई शासकीय प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है। इतनी सारी प्रक्रियाओं से गुजरने के बाद घटाया दवाएं सरकारी अस्पतालों तक कैसे पहुंचती है। यह बड़ा सवाल है। दरअसल यहीं से पूरे भ्रष्टाचार का खेल शुरू होता है।
घटिया दवा खरीदी के जिम्मेदारों पर कोई जांच नहीं
विभागीय सूत्रों के अनुसार चरणबद्ध तरीके से हर एक प्रक्रियाओं में धांधली की जाती है। स्वास्थ्य विभाग में इसके लिए बड़ा सिंडीकेट काम कर रहा है, जिसमें शासन प्रशासन से जुड़े रसूखदार गिरोह की तरह शामिल हैं। सरकारी अस्पतालों में खराब दवाएं सप्लाई पकड़ में आने के बाद विभाग दवा प्रोडक्ट या कंपनी पर कार्रवाई कर पल्ला तो झाड़ लेती है, लेकिन दवा खरीदी की प्रक्रिया को करने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों पर कार्रवाई तो दूर किसी तरह की जांच समिति तक गठित नहीं की गई।
सरकारी सिस्टम में घुसे राजनीतिक दलाल
जानकारी के अनुसार बड़े पैमाने पर हो रहे दवाओं में कमीशनखोरी और धांधली की वजह से अस्पतालों में मरीज की जान के साथ खिलवाड़ हो रहा है। दवा सप्लाई का टेंडर पास कराने के एवज में 10 से 30 % तक मोटी रकम विभिन्न माध्यमों से पहुंचता है। सरकारी सिस्टम में भ्रष्टाचारियों का ऐसा चेन तैयार हो चुका है कि ऊपर से नीचे तक मिलीभगत की वजह से इसके सरगनाओं पर कार्रवाई नहीं हो पा रही। इससे भाजपा सरकार की छवि धूमिल हो रही है।
स्वास्थ्य मंत्री ने जताई चिंता, कहा, मरीजों का भरोसा डगमगाना ठीक नहीं
स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जयसवाल ने कहा है कि लगातार शिकायतें आ रही है। सरकारी अस्पतालों में मरीजों का भरोसा डगमगाना ठीक नहीं। हमने जांच के लिए अधिकारियों को निर्देश दिए हैं। बेहतर व्यवस्था बनाई जाएगी।
CGMSC की एमडी पद्मिनी भोई साहू ने कहा
घटिया दवा सप्लाई यानी मरीजों की सेहत से खिलवाड़ का मामला है। दवा कंपनियों द्वारा दवा सप्लाई से पहले सरकारी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। हर सैंपल की लैब जांच कराने का नियम है। विभाग में गड़बड़ी की जांच करेंगे। दोषी पर कार्रवाई होगी।
भाजपा-कांग्रेस दोनों ने कहा : गरीब मरीजों की जान से खेल रहे
भाजपा प्रवक्ता नलनेश ठोकने ने कहा, सरकारी अस्पतालों में घटिया दवाएं सप्लाई करना बहुत गलत है। कांग्रेसी अधिकारी कमोशन खोरी का खेल खेल रहे हैं। भाजपा यह बर्दास्त नहीं करेगी। वहीं इंडियन मेडिकल एसोसिएशन रायपुर के अध्यक्ष डॉक्टर राकेश गुप्ता ने कहा कि पारदर्शिता के लिए सही व्यवस्था बनाने और दोषियों पर कार्रवाई की जरूरत है।